top of page

अष्टावक्र गीता-1-9वां श्लोक - अज्ञान के जंगल को "मैं शुद्ध चैतन्य हूं" की ज्ञानाग्नि से जलाकर मुक्त होकर जीवन जियो। (Ashtavakra Gita-1- Verse 9 - Burn the forest of ignorance with the fire of "I am pu

Writer's picture: Prasad BharadwajPrasad Bharadwaj



🌹 अष्टावक्र गीता-1-9वां श्लोक - अज्ञान के जंगल को "मैं शुद्ध चैतन्य हूं" की ज्ञानाग्नि से जलाकर मुक्त होकर जीवन जियो। 🌹


प्रसाद भारद्वाज




इस वीडियो में, हम अष्टावक्र गीता के पहले अध्याय के 9वें श्लोक का विश्लेषण करते हैं, जो आत्मज्ञान का सार सिखाता है। "मैं शुद्ध चैतन्य हूं" की ज्ञानाग्नि से अज्ञान रूपी जंगल को जलाकर, मन को शुद्ध कर, मानसिक पीड़ा को पार करते हुए, कैसे मुक्त और दुखरहित जीवन जिया जा सकता है, यह जानें।



🌹🌹🌹🌹🌹


Comments


©2023 by Daily Bhakti Messages 3.
Proudly created with Wix.com

bottom of page