DAILY BHAKTI MESSAGES 3
From the Heart
अष्टावक्र गीता - 1वां अध्याय - त्मानुभवोपदेश - 6वां श्लोक । 4 लघु वीडियो। (Ashtavakra Gita - Chapter 1 - The Teaching of Self-Realization, Verse 6 - 4 Short Videos)
अष्टावक्र गीता प्रथम अध्याय - आत्मानुभवोपदेश - 5वां श्लोक - 3 लघु वीडियो (Ashtavakra Gita Chapter 1, The Teaching of Self-Realization, Verse 5 - 3 Short Videos)
अष्टावक्र गीता - अध्याय 1 - आत्मानुभव उपदेश - श्लोक 4 - Youtube Shorts (Ashtavakra Gita Chapter 1, The Teaching of Self-Realization, Verse 4)
अष्टावक्र गीता 1 - आत्म-साक्षात्कार का उपदेश - श्लोक 3 - Youtube Shorts (AshtaVakra Gita 1 - Teaching of Self-Realization - Verse 3)
अष्टावक्र गीता 1 - आत्म-साक्षात्कार का उपदेश - श्लोक 2 - Youtube Shorts (AshtaVakra Gita 1 - Teaching of Self-Realization - Verse 2)
अष्टावक्र गीता 1 - आत्म-साक्षात्कार का उपदेश - श्लोक 1 - Youtube Shorts (AshtaVakra Gita 1 - Teaching of Self-Realization - Verse 1)
अष्टावक्र गीता-1-9वां श्लोक - अज्ञान के जंगल को "मैं शुद्ध चैतन्य हूं" की ज्ञानाग्नि से जलाकर मुक्त होकर जीवन जियो। (Ashtavakra Gita-1- Verse 9 - Burn the forest of ignorance with the fire of "I am pu
अष्टावक्र गीता 8वें श्लोक Youtube Shorts (Ashtavakra Gita Verse 8)
अष्टावक्र गीता - प्रथम अध्याय - आत्मानुभवोपदेश - श्लोक 8 - मैं कर्ता हूँ इस अहंकार को छोड़कर, मैं साक्षी हूँ इस अमृत भावना को स्वीकार कर, आत्मज्ञान की वृद्धि प्राप्त करो। (Ashtavakra Gita - . . .
अष्टावक्र गीता - पहला अध्याय - आत्मानुभव उपदेश - 7वाँ श्लोक - देह, मन, बुद्धि और अहंकार के साथ तादात्म्य ही तुम्हारे बंधन और कष्ट का कारण है। (Ashtavakra Gita - Chapter 1 - Teaching of Self- . . .
अष्टावक्र गीता पहला अध्याय - आत्मानुभवोपदेश - श्लोक 6 - यह पहचानो कि तुम ना कर्ता हो और ना ही भोगता हो। तुम सदा स्वतंत्र और मुक्त हो। (Ashtavakra Gita - Chapter 1, The Teaching of Self-Realization ...
अष्टावक्र गीता - प्रथम अध्याय - आत्मानुभवोपदेश - 5वां श्लोक - संग रहित हो, निराकार हो, सर्वसाक्षी हो तुम। विचार छोड़कर संतुष्ट होकर जीयो। (Ashtavakra Gita - 1st Chapter - The Teaching of Self- . . . )
अष्टावक्र गीता - 1.4.यदि जागरूकता में निष्ठा के साथ खड़े रह सकते हैं, मुक्त के रूप में पहचान लेंगे। (Ashtavakra Gita - 1.4. "If you can stand firm in your awareness you will immediately recognize...)
अष्टावक्र गीता क 1-3. साक्षी चेतना: मुक्ति का सच्चा स्वरूप - सत-चित-आनंद। तुम उसी के रूप हो। (AshtaVakra Gita 1-3. Witness Consciousness: The True Nature of Liberation - Sat-Chit-Ananda. . . . )
यदि तुम मोक्ष की कामना करते हो, तो विषय भोगों को विष के समान त्याग दो। (If you desire liberation, then renounce sense objects as if they were poison)
अष्टावक्र गीता - अध्याय 1 - श्लोक 1 - आत्मानुभव पर आधारित संवाद (AshtaVakra Gita - 1st Chapter -Verse 1 - Self-experiential discourse)