अष्टावक्र गीता - पहला अध्याय - आत्मानुभव उपदेश - 7वाँ श्लोक - देह, मन, बुद्धि और अहंकार के साथ तादात्म्य ही तुम्हारे बंधन और कष्ट का कारण है। (Ashtavakra Gita - Chapter 1 - Teaching of Self- . . .
- Prasad Bharadwaj
- Sep 15, 2024
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🌹 अष्टावक्र गीता - पहला अध्याय - आत्मानुभव उपदेश - 7वाँ श्लोक - देह, मन, बुद्धि और अहंकार के साथ तादात्म्य ही तुम्हारे बंधन और कष्ट का कारण है। 🌹
प्रसाद भरद्वाज
अष्टावक्र गीता के पहले अध्याय के 7वें श्लोक में बताया गया है कि शरीर, मन, बुद्धि और अहंकार के साथ तादात्म्य ही बंधन और दुख का कारण है। असली आत्मा शाश्वत साक्षी है, जो इन अस्थायी तत्वों से मुक्त है। इस सत्य को पहचानकर, व्यक्ति बंधन के भ्रम को समाप्त कर सकता है और मुक्ति का अनुभव कर सकता है, क्योंकि आत्मा शुद्ध, अविभाज्य चेतना है।
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