🌹 अष्टावक्र गीता प्रथम अध्याय - आत्मानुभवोपदेश - 5वां श्लोक - संग रहित हो, निराकार हो, सर्वसाक्षी हो तुम। विचार छोड़कर संतुष्ट होकर जीयो। - 3 लघु वीडियो। 🌹
प्रसाद भारद्वाज
🌻 1. आत्मा परमब्रह्म - अखंड और अद्वितीय. 🌻
🌻 2. तुम सर्वसाक्षी आत्मा हो - विश्वसाक्षी. 🌻
🌻 3. शांति - आनंद और मोक्ष. 🌻
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प्रसाद भारद्वाज
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