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अष्टावक्र गीता - प्रथम अध्याय - आत्मानुभवोपदेश - श्लोक 9 - अज्ञान के जंगल को.... (Youtube Short #3) (Ashtavakra Gita - Chapter 1 - Teaching of Self-Realization - Verse 9)

Writer's picture: Prasad BharadwajPrasad Bharadwaj

🌹 अष्टावक्र गीता - प्रथम अध्याय - आत्मानुभवोपदेश - श्लोक 9 - अज्ञान के जंगल को "मैं शुद्ध चैतन्य हूं" की ज्ञानाग्नि से जलाकर मुक्त होकर जीवन जियो। 🌹


🍀 3. अंतःकरण शुद्धि - मन की शुद्धि. 🍀


प्रसाद भारद्वाज.



इस वीडियो में, हम अष्टावक्र गीता के पहले अध्याय के 9वें श्लोक का विश्लेषण करते हैं, जो आत्मज्ञान का सार सिखाता है। "मैं शुद्ध चैतन्य हूं" की ज्ञानाग्नि से अज्ञान रूपी जंगल को जलाकर, मन को शुद्ध कर, मानसिक पीड़ा को पार करते हुए, कैसे मुक्त और दुखरहित जीवन जिया जा सकता है, यह जानें। मौन में, यह अपने वास्तविक स्वरूप को पहचानने लगता है – जो कि शुद्ध, अचल, और शाश्वत चेतना है।


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